“मौत के साए में जीवन”

life and death

Life and death

मौत के साए में जीवन
जीवन नहीं बुरे सपने
के डर के समान है

जो पीछा ना छोड़े कभी
जब तक शरीर में प्राण हैं

डर डर के क्यों जीना
इक दिन यह देह तो
जानी है छोड़

चाहे आज, चाहे कल
कर्मों का चुकाना पड़ता है मोल

आखिर कब तक चलेंगी
ये सांसे, कब तक बंधी रहेगी
जीवन की यह डोर

देह तो मिल जानी माटी में
पीछे रहेंगे बस मीठे तेरे बोल

तो न कर घृणा किसी से
ना चल रस्ते पर बदी के

छोटी सी मिली है ज़िन्दगी
बिता हर लम्हा ख़ुशी से।

Life and death

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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2 Responses

  1. T.k mittal says:

    Very nice

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