“चलो इक ख़त लिखतें हैं”
Khat Letter
चलो इक ख़त लिखते हैं
कल की भूली यादों को ताज़ा करते हैं
जब थी दोस्ती कागज़ कलम से
बहुत स्याही से खेला करते थे
उकेर कर भावनाएं खत में
खैरियत अपनों की पूछा करते थे
बेशक कोई लेखक न थे पर
बड़े गौर से सब बयां करते थे
आज जो बदला ज़माना
कागज़ कलम से छूटा नाता
फ़ोन ने सब भार लिया उठा
इंतज़ार का फल भी लिया चुरा
मिनटों में संदेसे पहुंचें
सीधे बात भी देता करवा
बेशक सहूलियतें बेइंतेहां हुई
पर उस दौर की वो बात कहाँ
खुद अपने हाथों से लिखी चिठ्ठी जैसी
फ़ोन से वो महक कहाँ
चलो, आज फिर वो लम्हें ताज़ा करते हैं
प्यार भरा इक ख़त लिखते हैं
।।।
Khat Letter

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