“मन की बातें”
Dil kii baatein
क्या कहूं
इन दिनों कानों में गूँजी आवाज़ मेरे
वो आवाज़ थी ज़िन्दगी की
कह रही थी ज़िन्दगी
तुम मुझे कोसते बहुत हो
शिकायतों की थाली परोसते बहुत हो
क्या कहूं !!! ज़िन्दगी को
शिकायत ग़र ज़माने से करुँ
तो पलट जवाब तैयार रहते हैं
इक तू ही तो है ज़िन्दगी
सच्चा प्यार मेरा
शिकवे बेशक हज़ार करलूं
पर फासले दरकिनार रहते हैं
साथ तू छोड़ती नहीं
जब तक कि मर्ज़ी इसमें
भगवान की शामिल न हो
औरों सा नहीं बदलता मन तेरा
जब तू है साथ मेरे हमदम
तो भला किसी और से
मन की बातें क्यों कहूं
किसी और से मन की बातें क्यों कहूं
।।।
पढ़िए ज़िन्दगी पर आधारित एक बेहतरीन कविता “जीवन का ये पाठ”
Dil kii baatein

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