“जीना हुआ मुहाल”

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अगर आप ज़िन्दगी में रोज़मर्रा की उथल पुथल पर या कुछ गंभीर घटनाओं पर आधारित कोई कविता ढूंढ रहे हैं तो आप सही जगह पर पहुंचे हैं। यहाँ पढ़िए ज़िन्दगी की असलियत दर्शाती 2 मार्मिक कविताएँ।

 

“जीना हुआ मुहाल”

हररोज़ घट रही घटनाएं
रात तो है ही रात
दिन में भी अँधेरा पैर फैलाए

लूट पाट और मारा मारी
आखिर क्या है ये बीमारी!

इंसान इंसानियत खोता जा रहा
आप से बहार होता जा रहा

कहीं अपहरण कहीं छीने
कोई साँसों की डोर

न जाने पापी मन में
पनप रही क्या खोट

हर ओर छाया माया का जाल
कोई प्यार में हारा फिरे बेहाल

ज़िन्दगी में उथल पुथल मचाये
इंसान का जीना हुआ मुहाल।।।

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“ज़ुल्मों का बसेरा”

ये रात, रात न हुई
खौफ का अँधेरा हो गया

हर रात में अपराधों का
डेरा हो गया

आज हालात बद्द से बद्द्तर हुए ऐसे
कि दिन में भी ज़ुल्मों का बसेरा हो गया

न दिन में किसी का डर
न दिल में किसी का खौफ रहा

आज भारत का युवा
न जाने कहाँ भटक रहा

यह कमी हमारी शिक्षा में
या लुप्त सभ्यता का असर पड़ा

बदलती तस्वीर भारत की
हक़ीक़त यही कर रही बयां

खतरे में भविष्य देश का
और समय रेत सा फिसल रहा
समय रेत सा फिसल रहा
।।।

 

जानिए “हरियाली तीज” के बारे में सम्पूर्ण जानकारी 

Priyanka G

Writer | VO Artist | TV Presenter | Entrepreneur

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5 Responses

  1. Uma Rani. says:

    👌

  2. Raj Kumari says:

    Very nice

  3. Harsh says:

    👍

  4. Reena Gupta says:

    👍

  5. Sony says:

    Good content 👍

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